सत् + आनन्द
सत + आनन्द
सद + आनन्द
सदा + आनन्द
“सदानन्द” का सही संधि विच्छेद - ‘सत् + आनन्द’ है। इसमें व्यंजन संधि है। इसके नियमानुसार यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मेल किसी स्वर अथवा व्यंजन वर्ग के तीसरे वर्ण (ग्, ज, ड, द्, ब) या चौथे वर्ण (घ, झ, ढ, ध, भ) अथवा अन्त:स्थ व्यंजन (य, र, ल, व) से होने पर वर्ग का वर्ण अपने ही वर्ग के तीसरे वर्ण (ग्, ज्, ड्, द्, ब्) में परिवर्तित हो जाता है। जैसे - वाक् + ईश = वागीश सुप् + अंत = सुबंत
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