धर्म पालन करने के मार्ग में सबसे अधिक बाधा चित्त की चंचलता, उद्देश्य की असिरिता और मन की निर्बलता से पड़ती है। मनुष्य के कर्तव्य मार्ग में एक ओर तो आत्मा के बुरे-भले कामों का ज्ञान दूसरी ओर आलस्य और स्वार्थपरता रहती है। बस मनुष्य इन्ही हुआ तो वह आत्मा की आज्ञा मानकर अपना धर्म पालन करता है, पर उसका मन दुविधा में पड़ा रहा है तो स्वार्थपरता उसे निश्चित ही घेरेगी और उसका चरित्र घृणा के योग्य हो जाएगा। इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि आत्मा जिस बात को करने की प्रवृत्ति दे, उसे बिना स्वार्थ सोचे, झटपट कर डालना चाहिए। इस संसार में जितने बड़े-बड़े लोग हुए हैं सभी ने अपने कर्तव्य को सबसे श्रेष्ठ माना है, क्योंकि जितने कर्म उन्होंने किए उन सबने अपने कर्तव्य पर ध्यान देकर न्याय का बर्ताव किया। जिन जातियों में यह गुण पाया जाता है, वे ही संसार में उन्नति करती हैं और संसार में उनका नाम आदर से लिया जाता है। जो लोग स्वार्थी होकर अपने कर्तव्य पर ध्यान नहीं देते, वे संसार में लज्जित होते हैं और सब लोग उनसे घृणा करते हैं। जो कर्तव्य पालन करता है, वह अपने कामों और वचनों में सत्यता का बर्ताव भी रखता है। सत्यता ही एक ऐसी वस्तु है, जिससे इस संसार में कोई काम झूठ बोलने से नहीं चल सकता। झूठ बोलना कई रूपों में दिखाई पड़ता है, जैसे चुप रहना, किसी बात को बढ़ाकर, कहना, किसी बात को छिपाना, झूठ-मूठ दूसरों की हाँ में हाँ मिलाना आदि। कुछ ऐसे लोग भी होते है जो मुँह देखी बातें बनाया करते हैं, पर करते वही हैं जो उन्हें रूचता है। ऐसे लोग मन में समझते हैं कि कैसे सबको मूर्ख बनाकर हमने अपना काम कर लिया, पर वास्तव में वे अपने को ही मूर्ख बनाते हैं और अंत में उनकी पोल खुल जाने पर समाज के लोग उनसे घृणा करते हैं। ‘अपना मतलब निकालने वाला’ के लिए उचित शब्द क्या है -

  • 1

    स्वार्थी

  • 2

    स्वार्थपरता

  • 3

    स्वार्थपरक

  • 4

    कुटिल

Answer:- 1
Explanation:-

‘अपना मतलब निकालने वाला’ वाक्यांश के लिए प्रश्नगत शब्दों में ‘स्वार्थी’ होगा। वैसे ‘मतलबी’ शब्द भी इसी अर्थ में प्रयुक्त होता है।

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