ईर्ष्या का काम जलाना है; मगर, सबसे पहले वह उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है। आप भी ऐसे बहुत से लोगों को जानते होंगे जो ईर्ष्या और द्वेष की साकार मूर्ति हैं, जो बराबर इस फिक्र में लगे रहते हैं कि कहाँ सुनने वाले मिलें कि अपने दिल का गुबार निकालने का मौका मिले। श्रोता मिलते ही उनका ग्रामोफोन बजने लगता है और वे बड़े ही होशियारी के साथ एक-एक काण्ड इस ढंग से सुनाते हैं, मानों विश्व कल्याण को छोड़कर उनका और कोई ध्येय नहीं हो। मगर, जरा उनके अपने इतिहास को भी देखिए और समझने की कोशिश कीजिए कि जबसे उन्होंने इस सुकर्म का आरंभ किया है, तबसे वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़े हैं या पीछे हटे है। यह भी कि अगर वे निंदा करने में समय और शक्ति का अपव्यय नहीं करते तो आज उनका स्थान कहाँ होता। ‘अपव्यय’ का क्या अर्थ होता है -

  • 1

    खर्च

  • 2

    कम खर्च

  • 3

    अधिक खर्च

  • 4

    फिजूल खर्च

Answer:- 4
Explanation:-

‘अपव्यय’ दो शब्दों से मिलकर बना है। यह शब्द ‘अप’ उपसर्ग और ‘व्यय’ शब्द का संयोग से बना है, जिसका अर्थ ‘फिजूल खर्च’ है।

Post your Comments

Your comments will be displayed only after manual approval.

Test
Classes
E-Book