तीन
चार
आठ
नौ
स्थायी भाव का अर्थ 'प्रधान भाव' है, जो विभाव, अनुभाव एवं संचारी भावों के संयोग से रस की अवस्था तक पहुँचता है। काव्य या नाटक में एक स्थायी भाव शुरू से अन्त तक होता है। स्थायी भावों की संख्या 9 मानी गयी। ये स्थायी भाव ही रस के आधार हैं।
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