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भरतमुनि
अभिनवगुप्त
तुलसीदास
भट्टनायक
रससूत्र के जनक "भरतमुनि" को माना जाता है। इनके अनुसार रसोंं की संख्या 8 है, जबकि काव्य में रसों की संख्या 9 है। "श्रृंगार रस" को सर्वश्रेष्ठ रस माना जाता है।
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