नौ
सात
पाँच
आठ
भरतमुनि ने स्थायी भावों की संख्या आठ मानी हैं और इसी आधार पर रस की संख्या आठ मानी है जो इस प्रकार है- 1. श्रृंगार-रति 2. वीर-उत्साह 3. हास्य-हास 4. करूण शोक 5. रौद्र-क्रोध 6. भयानक-भय 7. वीभत्स-जुगुप्सा 8. अद्भुत-आश्चर्य शान्त रस को नौवाँ रस माना जाता है।
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