वीर
भयानक
वात्सल्य
श्रृंगार
'निसदिन बरसत नैन हमारे' में 'श्रृंगार रस' है। इसमें वियोग श्रृंगार है। जहाँ पर हृदय में उत्साह उत्पन्न हो, वहाँ वीर रस होता है। जैसे-फहरी ध्वजा फड़की भुजा, बलिदान की ज्वालमुखी। जहाँ भय उत्पन्न करने वाली वस्तु या दृश्य को देखकर भय की सृष्टि हो, भयानक रस होता है। जैसे-'उधर सिंधु लहरिया कुटिल काल के जालों सी'।
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