वियोग श्रृंगार
रौद्र
करूण
शान्त
'देखि सुदामा की दीन दशा, करूणा करिकै करूणानिधि रोये' में 'करूण रस' है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्र सुदामा की दशा देखकर अपने आँसू बहा रहे हैं। जहाँ नायक और नायिका के विरह (बिछड़ने) का वर्णन हो, वियोग श्रृंगार कहा जाता है। जैसे - 'हे! खग मृग हे! मधुकर श्रेनी। तुम देखी सीता मृगनयनी।'
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