श्रृंगार
रौद्र
करूण
शांत
किसी प्रिय व्यक्ति के चिर विरह अथवा इच्छित वस्तु की अप्राप्ति से उत्पन्न होने वाला शोक आदि भाव के सम्मिश्रण को 'करूण रस' कहते हैं अर्थात् शोक स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव के संयोग से 'करूण रस' की दशा प्राप्त होती है। अत: प्रश्नगत पंक्ति में 'करूण रस' है।
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