वीभत्स
भयानक
रौद्र
वीर
जिस काव्य को पढ़ने या सुनने से क्रोध की अनुभूति होती है, वहाँ रौद्र रस होता है। रौद्र रस का स्थायी भाव 'क्रोध' होता है। उदाहरण- श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे! सब शील अपना भूल कर करतल युगल मलने लगे !! संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े! करते हुए यह घोषणा वे हो गए उठ कर खड़े !!
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