‘जहँ - तहँ मज्जा मांस रूचिर लखि परत बगारे। जित - जित छिटके हाड़, सेत कहुँ, कहुँ रतनारे।।’ इस अवतरण में है-

  • 1

    वीभत्स रस

  • 2

    अद्भुत रस

  • 3

    भयानक रस

  • 4

    हास्य रस

Answer:- 1
Explanation:-

इस काव्य को पढ़कर मन में जुगप्सा तथा घृणा के भाव की प्रधानता आती है। अत: इस काव्य में वीभत्स रस है।

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