वीभत्स
अद्भुत
शांत
हास्य
'विस्मय' अद्भुत रस का स्थायी भाव है। जिस काव्य को पढ़ने से मन में विस्मय या आश्चर्य नामक स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, वहाँ 'अद्भुत रस' होता है अर्थात् विस्मय नामक स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव के संयोग को 'अद्भुत रस' कहते हैं।
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