वह विज्ञान की विध्वंसक शक्तियों से भयभीत है
उसका आत्मविश्वास लुप्त होता जा रहा है
मानव ईश्वर के प्रति अस्थावान नहीं है
वह सीमित भौतिक शक्तियों को स्वामी है
आज का मानव अपने व्यक्तित्व और अस्तित्व के प्रति इसलिए शंकालु है, क्योंकि वह विज्ञान की विध्वंसक शक्तियों से भयभीत है।
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