साहित्य, धर्म कला आदि मानव चेतना से निर्वासित है
जीवन में आशातीत का समावेश नहीं हुआ
विकास के सूत्र मानव के हाथ में है
भौतिक परिवेश पूर्णतया परिवर्तित हो गया है
आधुनिक मानव विकास को सर्वांगीण नहीं कहा जा सकता , क्योंकि साहित्य, धर्म, कला आदि मानव चेतना से निर्वासित है।
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