अर्ध-मागधी
पालि
प्राकृत
संस्कृत
प्रारम्भिक जैन साहित्य अर्द्ध-मागधी भाषा में लिखा गया था। आरम्भ में जैनों ने मुख्यत: ब्राह्मणों द्वारा सम्पोषित संस्कृत भाषा का परित्याग किया और अपने धर्मोपदेश के लिए आम लोगों की बोलचाल की प्राकृत भाषा को अपनाया। उनके धार्मिक ग्रंथ अर्द्ध मागधी भाषा में लिखे गये और ये ग्रंथ ईसा की छठी सदी में गुजरात में बल्लभी नामक स्थान में, जो एक महान विद्या केन्द्र था अंतिम रूप से संकलित किये गये।
Post your Comments