यण
व्यंजन
विसर्ग
दीर्घ
यदि + अपि, शब्द यद्यपि का संधि विच्छेद है। इसमें इ + अ मिलकर के ‘य’ हो जाते हैं। यण् स्वरसंधि के नियम - यदि ‘इ’, ‘ई’, ‘उ’, ‘ऊ’ और ‘ऋ’ के बाद कोई भिन्न स्वर आये, तो ‘इ-ई’ का ‘यू’, ‘उ-ऊ’ का ‘व्’ और ‘ऋ’ का ‘र्’ हो जाता है। जैसे
अति + आवश्यक | अत्यावश्यक (इ+आ) |
मधु + आलय | मधु + आलय (उ+आ) |
पितृ + आदेश | पित्रादेश (ऋ+आ) |
अनु + अय | अन्वय (उ+अ) |
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