दीर्घ
गुण
यण
अयादि
शिव + आलय = शिवालय (अ + आ) दीर्घ संधि है। दीर्घ संधि में दो सवर्ण स्वर (अ, आ), (इ, ई), (उ, ऊ), (ऋ, ऋृृ) मिलकर दीर्घ हो जाते हैं, जैसे अ + अ / आ = आ, ज्ञाना + अभाव = ज्ञानाभाव आ + आ / अ = आ, विद्या + आलय = विद्यालय इ + इ / ई = ई, रवि + इन्द्र = रवीन्द्र उ + ऊ /उ = ऊ, लघु + ऊर्मि = लघूर्मि ऊ + ऊ / उ = ऊ, भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व ऋ / ऋृृ + ऋ / ऋ =ऋृृ, पितृ + ऋण = पितृण
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