गुरू हरगोविन्द ने
गुरू गोविन्द सिंह ने
गुरू अर्जुनदेव ने
गुरू तेग बहादुर ने
गुरू अर्जुनदेव (1581-1606 ई.) ने जहाँगीर के विरूद्ध विद्रोह में उसके पुत्र खुसरो को अपना आर्शीवाद दिया था। जहाँगीर ने इसे अपने आत्मसम्मान के विरूद्ध समझा और अपने विरोधियों के हृदय में भय उत्पन्न करने के लिए गुरू अर्जुन देव की हत्या करवा दी थी। गुरू अर्जुनदेव को सच्चा पादशाह कहकर पुकारा जाता था। गुरू हरगोविन्द (1606-1644) गुरू अर्जुन देव के बाद उनके पुत्र हरगोविन्द सिखों के छठें गुरू हुए। जहाँगीर ने गुरू हरगोविन्द को पकड़वाकर ग्वालियर के किले में कैद करवा लिया था। गुरू तेगबहादुर (1664-1675 ई.) सिखों के नौवें गुरू थे। गुरू हरकिशन इन्हें बाबा बकाला के नाम से ही पुकारते थे। औरंगजेब ने गुरू तेगबहादुर को मृत्यु दण्ड दिया था। गुरू गोविदन् सिंह (1675-1708 ई.) सिखों के दसवें व अंतिम गुरू थे। इन्होंने खालसा सम्प्रदाय की स्थापना की थी।
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