आनन्द
राहुलोभद्र
मक्खलि गोशाल
उपाली
मक्खलिपुत्त गोशाल पहले महावीर के शिष्य थे। किन्तु बाद में मतभेद हो जाने पर उन्होंने महावीर का साथ छोड़कर 'आजीवक' नामक स्वतंत्र सम्प्रदाय स्थापित किया। आजीवक सम्प्रदाय लगभग 1002 ऊ. तक बना रहा। इनका मत नियतिवाद (भाग्यवाद) कहां जाता है। जिसके अनुसार संसार की प्रत्येक वस्तु भाग्य द्वारा पूर्व नियन्त्रित एवं संचालित होती है। मनुष्य के जीवन पर उसके कर्मों का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता। महावीर के समान गोशाल भी ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं करते थे तथा जीव और पदार्थ को अलग-अलग तत्व मानते थे।
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