शौकत अली
मदन मोहन मालवीय
मोतीलाल नेहरु
रबींद्रनाथ टैगोर
टैगोर ने विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार और उन्हें जालने की गांधी की मूहीम का भी विरोध किया था। उन्होंने इसे ठेठ अर्थशास्त्रीय नजरिए से देखा और कहा कि चूंकि भारत की एक बड़ी आबादी के पास पहनने को वस्त्र नहीं है, इसलिए उसे जो भी वस्त्र मिलता है उसे अपनाना चाहिए। जबकि गांधीजी इसे न केवल अपने ही अर्थशास्त्रीय नजरिए से देख करे थे, बल्कि इसे आत्मा शुद्धिकरण का तरीका मान बैठे थे।
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