ब्रजभाषा
उपभाषा
लिपि
क्षेत्रीय रुप
बोली का क्षेत्र जब थोड़ा विकसित हो जाता है और उसमें साहित्य की रचना होने पर वह उपभाषा बन जाती है। ब्रजभाषा → श्री मद्भागवत के रचना काल में ब्रज शब्द क्षेत्रवासी हो गया था, इस जनपदीय बोली ने अपने उत्थान एवं विकास के साथ आदरार्थ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजबोली नाम से नहीं अपितु ब्रजभाषा के नाम से विख्यात हुई। लिपि → ध्वनियों को लिखने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, वही लिपि कहलाती है।
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