गिरना
बोलना
सुनाना
कहना
‘सुनाना’ प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया है। जिन क्रियाओं से इस बात का बोध हो कि कर्त्ता स्वयं कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, वे प्रेरणार्थक क्रियाएँ कहलाती हैं। इन मूल क्रियाओं से बनी प्रेरणार्थक क्रिया इस प्रकार हैं - मूलधातु प्रेरणार्थक क्रिया मूल क्रिया प्रेरणार्थक क्रिया गिरना गिरवाना बोलना बोलवाना सुनना सुनवाना कहना कहवाना
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