बादल की मृत्यु
एक घूँट
कारवाँ
मोर का तारा
प्रश्नगत विकल्पों में 'बादल की मृत्यु' आधुनिक ढंग से प्रथम एकांकी के रूप में स्वीकार्य है। हिन्दी एकांकी विधा के अन्तर्गत सर्वप्रथम पश्चिमी नाट्य विधानों को ध्यान में रखकर डॉ. रामकुमार वर्मा ने 'बादल की मृत्यु' की रचना सन् 1930 में की थी। 'एक घूँट' एकांकी जयशंकर प्रसाद द्वारा 'कारवाँ' एकांकी भुवनेश्वर तथा 'भोर का तार' एकांकी जगदीश प्रसाद चन्द्र माधुर द्वारा रचित है।
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