लोक सेवक द्वारा किया गया कार्य।
आपराधिक अतिचार को रोकने में।
जंगम संपत्ति की रक्षा में।
उपरोक्त सभी में।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 99 के निर्बन्धनों के अधीन रहते हुए शरीर या सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार प्राप्त हुआ है। धारा 99 के अन्तर्गत निम्नलिखित सीमाएं (निर्बन्धन) हैं- 1. लोक सेवक के कार्य के विरुद्ध प्रतिरक्षा का अधिकार 2. लोक सेवक के निदेश से किये गये किसी कार्य के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार नहीं है। 3. जहाँ लोक प्राधिकारियों की सहायता प्राप्त करने के लिए समय है, वहाँ प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार उपलब्ध नहीं है, और 4. किसी भी दशा में प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार उतनी अपहानि (क्षति) से अधिक अपहानि कारित करने पर नहीं है, जितनी प्रतिरक्षा के प्रयोजन से करनी आवश्यक है।
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