एक
दो
तीन
चार
स्वर तंत्रियों के आधार पर व्यंजनों को दो वर्गों में बाँटा गया है:- सघोष तथा अघोष। नाद की दृष्टि से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वर तंत्रियाँ झंकृत होती है, वे सघोष-और जिनमें यह झंकृत नही होती, वे अघोष व्यंजन कहलाते हैं। सघोष नाद का प्रयोग होता है और आघोष में श्वास का उपयोग होता है।
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