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भारतीय दण्ड संहिता की धारा 320 में घोर उपहति (गुहरी चोट) की आठ किस्मों को बताया गया है, पहला- पुंसत्वहरण, दूसरा- दोनों में से किसी नेत्र की दृष्टि का स्थायी विच्छेद, तीसरा-दोनों में से किसी भी कान की श्रवणशक्ति का स्थायी विच्छेद, चौथा- किसी भी अंग या जोड़ का विच्छेद, पांचवां- किसी भी अंग या जोड़ की शक्तियों का नाश या स्थायी ह्यस, छठा - सिर या चेहरे का स्थायी विद्रुपीकरण, सातवां- अस्थि या दांत का भंग या विसंधान, आठवां - कोई उपहति जो जीवन को संकटापत्र करती है या जिसके कारण घायल व्यक्ति बीस दिन तक तीव्र शारीरिक पीड़ा में रहता है या अपने मामूली कामकाज करने में असमर्थ रहता है।
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