केवल पुत्र
केवल पुत्री
पुत्र एवं पुत्री दोनों
इनमें से कोई नहीं
दण्ड प्रक्रिया संहिता , 1973 की धारा 12 (1) घ के बाद अन्तर्गत यदि माता-पिता स्वयं अपना भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं (असमर्थ) है तो पुत्र एवं पुत्री दोनों माता-पिता के भरण-पोषण के लिए दायित्वाधीन (जिम्मेदार) है। विजय मनोहर अरबट बनाम काशीराम राजाराम (1989, SC) के वाद में उच्चतम न्यायालय ने विधि सिद्धान्त प्रतिपादित करते हुए कहा कि द.प्र. सं. की धारा 125 (1) घ में प्रयुक्त शब्द अपने में पुत्र एवं पुत्री दोनों का समावेश है। इस धारा के अन्तर्गत भरण-पोषण के लिए आवेदन प्रथम वर्ग न्यायािक मजिस्ट्रेट को ही किया जा सकता है।
Post your Comments