करुण रस
वियोग श्रृंगार रस
शान्त रस
हास्य रस
उपर्युक्त पंक्तियों में वियोग श्रृंगार रस का वर्णन किया गया है, क्योंकि ऊधौ जब श्रीकृष्ण का सन्देश लेकर गोपियों के पास पहुँचते हैं, तब गोपियाँ उनसे कहती हैं, कि जब से श्रीकृष्ण यहाँ से गये तब से हमारी आँखों से लगातार आँसू निकल रहे हैं और वर्षा ऋृतु की तरह हमारी आँखे सदा भीगी रहती हैं। इस प्रकार गोपियाँ अपनी ‘प्रेम-व्यथा’ ऊधौ से बता रही हैं। करुण रस - दुख ही जीवन की कथा रही, क्या कहूँ आज जो नहीं कही।
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