वीर रस
वियोग श्रृंगार रस
शान्त रस
संयोग श्रृंगार रस
प्रस्तुत पंक्तियों में वियोग श्रृंगार रस है। इन पंक्तियों में कवि गोपियों की भावना को कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति को दर्शाना चाहते हैं। वह कहते हैं कि हमारी आँखें हरि का दर्शन करना चाहती हैं। यह उनका दर्शन ना पाकर उदास रहती हैं। वह उनका दर्शन करना चाहते है उद्धव के द्वारा संदेश लेकर आने के लिए वह और भी ज्यादा दुखी है।
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