यमक
अनुप्रास
श्लेष
उपमा
जहाँ एक ही वर्ण बार-बार आये या उसकी आवृत्ति हो, वहाँ अनुप्रास अंलकार होता है, यथा - तरनि-तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाये। यमक - जब कोई शब्द एकाधिक बार आए और प्रत्येक बार उसका भिन्न अर्थ हो तो यमक अलंकार होता है, यथा - तीन बेर खाती थी वो अब तीन बेर खाती है। श्लेष - जब एक शब्द में एक से अधिक अर्थ जुड़े हों तो श्लेष अलंकार होता है, यथा - पानी गए न ऊबरै, मोती मानुस चून। (पानी - चमक, प्रतिष्ठा व जल) उपमा - जब उपमेय (प्रस्तुत) व उपमान (अप्रस्तुत) के मध्य समानता बताई जाय या तुलना की जाय तो उपमा अलंकार होता है, यथा - पीपर पात सरिस मन डोला।
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