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अनुप्रास
यमक
श्लेष
रुपक
‘वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।’ (मैथिलीशरण गुप्त) स्पष्टीकरण - इसमें मनुष्य शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। जिसका अर्थ ‘आदमी’ है, पर तात्पर्य या अन्वय में भेद है। पहला मनुष्य कर्त्ता है और दूसरा सम्प्रदान।
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