सारंग ले सारंग चली
नवजीवन दो घनश्याम हमें
अब जीवन में नहीं जीवन है
कानन कठिन भयंकर भारी
‘कानन कठिन भयंकर भारी’ इस पंक्ति में क और भ वर्ण की आवृत्ति हो रही है अतः यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार का है। यमक - सारंग ले सारंग चली श्लेष - नवजीवन दो घनश्याम हमें
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