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विजयनगर साम्राज्य का सर्वाधिक प्रसिद्ध सिक्का स्वर्ण का ‘वराह’ था। यह 52 ग्रेन वजन का होता था। विदेशी यात्रियों ने इस हूण, परदौस, या पगोड़ा के रुप में उल्लिखित किया है। यह सम्पूर्ण भारत तथा विश्व के प्रमुख व्यापारिक नगरों में स्वीकृत सिक्का था। आधे वराह (26 ग्रेन) को ‘प्रताप’, चौथाई वराह या आधा-प्रताप 13 ग्रेन का और फणम 5.5 ग्रेन का होता था।
महमूदी - सिक्के का प्रचलन गुजरात में तथा मुजफ्फरी सिक्के का प्रचलन मालवा में था, जबकि सिकन्दरी सिक्के उत्तर-भारत में प्रचलित थे।
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