यण् संधि
वृद्धि संधि
दीर्घ संधि
गुण संधि
‘गांगोर्मि’ में गुण सन्धि है, इसका विच्छेद गंगा + ऊर्मि है। यण् - उपरि + उक्त = उपर्युक्त, स्त्री + उपयोगी = स्त्र्युपयोगी दीर्घ - भारती + ईश्वर = भारतीश्वर, पृथ्वी + ईश = पृथ्वीश वृद्धि - वन + औषधि = वनौषधि, उष्ण + ओदन = उष्णौदन
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