1 और 2 दोनों
केवल 2
1 और 2 दोनों ही नहीं
केवल 1
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 87 के अनुसार सम्मति से किया गया कार्य जिसमें मृत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय न हो और न उसकी सम्भावना का ज्ञान हो, इसमें A और B की सहमति है इसलिए यह अपराध नहीं होगा। धारा 86 के अनुसार स्वैच्छिक मत्तता में व्यक्ति के द्वारा किया गया कार्य निम्न प्रकृति का होना चाहिए - 1. कार्य के विधि विरूद्ध होने का ज्ञान नहीं होना चाहिए। 2. कार्य की प्रकृति का भी ज्ञान नहीं होना चाहिए। अत: इसकी शर्त की अनुपस्थिति में P द्वारा किया गया कार्य अपराध होगा।
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