‘दुःख ही जीवन की कथा रही, क्या कहूँ आज जो नहीं कही।’ उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा रस है -

  • 1

    करुण रस

  • 2

    श्रृंगार रस

  • 3

    अद्भुत रस

  • 4

    वीभत्स रस

Answer:- 1
Explanation:-

उपर्युक्त पंक्तियों में करुण रस है। इन पंक्तियों के माध्यम से सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ ने अपनी पुत्री ‘सरोज’ की मृत्यु के उपरान्त पूरी करुणा को उड़ेल दिया है। वीभत्स रस - “सिर पर बैठ्यो काग, आँख दोउ खात निकारत।                     खींचत जीभहिं स्यार, अतिहि आनंद उर धारत।।”

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