वीभत्स रस
वीर रस
रौद्र रस
करुण रस
उपर्युक्त पंक्तियों में वीर रस है। यहाँ सुभद्रा जी 1857 के विद्रोह के कारण को दर्शाया है। अब सभी राजाओं ने अपनी तलवारों को म्यान से निकाल कर युद्ध की घोषणा कर दी। कवयित्री कहती हैं कि हमने बुंदेलों और हरबोलों के मुँह से यही कहनी सुनी थी कि सन् 1857 के युद्ध में जिसने स्त्री होते हुए भी पुरुषों जैसा शौर्य व वीरता दिखाई, वह झाँसी वाली रानी थी।
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