हरिगीतिका छन्द
उल्लाला छन्द
रोला छन्द
गीतिका छन्द
उपर्युक्त पंक्तियों में हरिगीतिका छन्द है। यहाँ पंक्ति के अनुसार कहा गया है कि हे मन कृपालु श्रीरामचन्द्र जी का भजन कर। वे संसार के जन्म-मरण रुपी दारुण भय को दूर करने वाले हैं उनके नेत्र नव-विकसित कमल के समान हैं। मुख-हाँथ और चरण लाल कमल के सादृश्य हैं। उनके सौंदर्य की छवि अगणित कामदेव से बढ़कर है। उनके शरीर का नवीन नील सजल मेघ के जैसा सुन्दर वर्ण हैं। पीतम्बर मेघरुप शरीर मानो बिजली के समान चमक रहा है। ऐसा पावन रुप जानकी पति श्रीरामजी को मैं नमस्कार कर रहा हूँ।
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