32, 216
32, 226
14, 216
16, 226
अनुच्छेद 32 में संवैधानिक उपचारों के अधिकार का वर्णन है। इसकी महत्ता को बताते हुए डॉ. अम्बेडकर ने इसे संविधान की ‘हृदय और आत्मा’ कहा है। इस अधिकार के अंतर्गत जब किसी व्यक्ति के मूल अधिकार का उल्लंघन होता है, तब वह उपचार के लिए उच्चतम न्यायालय की शरण में जा सकता है। उल्लेखनीय है व्यक्ति मूल अधिकारों के हनन तथा अन्य विधिक अधिकारों के हनन पर अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय में भी उपचार हेतु जा सकता है। इसमें उच्चतम या उच्च न्यायालय में जाने का अधिकार स्वविवेकी होता है। अर्थात् पीड़ित व्यक्ति स्वेच्छा के अनुसार दोनों में से किसी न्यायालय में जा सकता है।
Post your Comments