श्लेष
वक्रोक्ति
यमक
रुपक
जहाँ एक शब्द की दो या दो से अधिक बार आवृत्ति हो और प्रत्येक बार भिन्न-भिन्न अर्थ प्रकट करे, वहाँ यमक अलंकार होता है, जैसे - उधौ जोग-जोग हम नाहीं। स्पष्टीकरण - यहाँ पर ‘जोग’ शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहले शब्द का तात्पर्य ‘योग साधना’ है, जबकि दूसरे शब्द का तात्पर्य ‘जोगी’ से है। अतः यहाँ यमक अलंकार है।
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