जब राज्य की विधानसभा या दोनों सदनों का सत्र न हो तो राज्यपाल अध्यादेश जारी कर सकता है।
राज्यपाल अपने स्वविवेक से अध्यादेश जारी कर सकता है, चाहे विधानसभा का सत्र हो या नहीं
राज्यपाल को यह संतुष्टि हो जानी चाहिए कि ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो गयी हैं कि अध्यादेश करना आवश्यक है
राज्यपाल द्वारा जारी अध्यादेश का वही महत्व होता है, जो विधानसभा द्वारा पारित अधिनियम का होता है।
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