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यण् संधि
अयादि संधि
वृद्धि संधि
गुण संधि
‘एकैक’ में वृद्धि सन्धि है, इसका विच्छेद एक + एक है। गुण - प्र + इत = प्रेत, पुष्प + इन्द्र = पुष्पेंद्र यण् - नि + अस्त = न्यस्त, परि + अंक = पर्यंक अयादि - चै + अ = चाय, भो + अन = भवन
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