दोहा
गीतिका
चौपाई
कवि
रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून। ।।।। ऽऽ ऽ।ऽ ।। ऽऽ ।। ऽ। ‘पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून। ऽऽ ।ऽ । ऽ।ऽ ऽऽ ऽ।। ऽ। उपर्युक्त पंक्तियों में दोहा छन्द है, क्योंकि इसके प्रथम एवं तृतीय चरण में 13-13 तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ हैं।
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