रोला
छप्पय
चौपाई
सोरठा
मात्रा की दृष्टि से दोहा के ठीक विपरीत सोरठा होता है। सोरठा अर्द्धसम मात्रिक छन्द है। इस छन्द में दोहे के द्वितीय चरण को प्रथम और प्रथम को द्वितीय तथा तृतीय को चतुर्थ और चतुर्थ को तृतीय कर देने से बन जाता है। इस छन्द के विषम चरणों में 11 मात्राएँ और सम चरणों में 13 मात्राएँ होती हैं। तुक प्रथम और तृतीय चरणों में होती हैं, जैसे - रघुपति बानकृसानु, निसिचर पतंग सम। ।।।। ऽ।।ऽ। ।।।। ।।। ।। जरे निसाचर जानु, जननी हृदय धीर धरु।। ।ऽ ।ऽ।। ऽ। ।।ऽ ऽ।। ऽ। ।।
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