अवधी
भोजपुरी
बघेली
छत्तीसगढ़ी
उकार बहुला छत्तीसगढ़ी बोली मानी जाती है। अवधी की प्रथम रचना मुल्ला दाऊद कृत ‘चांदायन’ मानी जाती है। सूफी कवियों में मलिक मोहम्मद जायसी तथा राम भक्त कवियों में गोस्वामी तुलसीदास, बाबा रामचरणदास, रघुनाथ आदि ने अवधी में अपनी रचनाएँ लिखीं। बैजू, शम्भू आदि कवियों ने बघेली बोली में साहित्य का सृजन किया। कवि ठाकुर का विदेशिया नृत्य नाटक भोजपुरी बहुत लोकप्रिय है। ‘कवि ठाकुर’ को भोजपुरी बोली का सेक्सपियर भी माना जाता है।
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