यण् संधि
गुण संधि
दीर्घ संधि
अयादि संधि
‘अत्यानन्द’ में यण् सन्धि है, इसका विच्छेद अति + आनन्द है। शेष विकल्प - दीर्घ - प्रति + इति = प्रतीत, मन्जू + ऊषा = मन्जूषा गुण - नर + उत्तम = नरोत्तम, महा + ऋृण = महर्ण अयादि - रौ + अन = रावण, भौ + अ = भाव
Post your Comments