“उलटा नाम जपत जग जाना वाल्मीकि भए ब्रह्म समाना।।” इस पंक्तियों में निम्न में से कौन-सा रस है -

  • 1

    वीभत्स रस

  • 2

    वात्सल्य रस

  • 3

    वीर रस

  • 4

    भक्ति रस

Answer:- 4
Explanation:-

प्रस्तुत पंक्तियों में भक्ति रस है। वाल्मीकि की महिमा का बखान करते हुए श्रीरामचरितमानस में लिखा है कि परमब्रह्मा राम का नाम उलटा (मरा-मरा) जपते-जपते वाल्मीकि स्वयं ब्रह्मा के समान हो गये। इस प्रकार वाल्मीकि जपयज्ञ के भी प्रवर्तक माने जा सकते हैं। वीभत्स रस - “रक्त-मांस के सड़े, पंक से उमड़ रही है।                      महाघोर दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा।।”

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