अभिनव गुप्त
विश्वनाथ
वामन
भरतमुनि
रस के संस्थापक आचार्य भरतमुनि है। भरतमुनि (200 ई.पू.) को रस सम्प्रदाय का प्रवर्तक माना जाता है। उन्होंने ही रस का सबसे पहले निरुपण ‘नाट्यशास्त्र’ में किया। इसलिए उन्हें रस निरुपण का प्रथम व्याख्याता एवं उनके ग्रन्थ ‘नाट्यशास्त्र’ को रस निरुपण का प्रथम ग्रन्थ माना जाता है। अभिनव गुप्त के अनुसार रसों की संख्या नौ है। उन्होंने शान्त रस का स्थायी भाव तन्मयता या तन्मयवाद को माना है। विश्वनाथ ने ‘रति’ या ‘वत्सल’ को स्थायी भाव मानकर वात्सल्य नामक 10वें रस का प्रतिपादन किया।
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