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वीर रस
हास्य रस
श्रृंगार रस
शांत रस
श्रृंगार रस को रसराज की उपमा से अलंकृत किया जाता है। नायक-नायिका के सौन्दर्य तथा प्रेम सम्बंधी वर्णन की परिपक्व अवस्था को श्रृंगार रस कहते हैं इसका स्थायी भाव रति होता है।
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