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वियोग श्रृंगार रस
अद्भुत रस
हास्य रस
रौद्र रस
उपर्युक्त पंक्तियों में हास्य रस है, जैसे - उकसाना, अकुलाना बार-बार स्थान बदलकर बैठना ‘अनुभाव’ हरिगण एवं अन्य दर्शकों की हँसी और ‘संचारीभाव’ हर्ष, चपलता, उत्सुकता आदि है।
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